बुधवार, 10 मार्च 2010

रेल का नियम सबसे अच्छा............


मुझे एक काम के सिलसिले में मथुरा जाना था तो मेने सोचा रेजर्वेसन करबा लूँ लेकिन समय नहीं था तो वेसे ही चला गया लेकिन सामान्य बोगी में भीड़ ज्यादा होने के कारण रेजर्वेसन बोगी में बैठ गया अब सांसे फूल रही थी कि टिकटतो है सामान्य का और बैठ गया हूँ रेजर्वेसन में फिर सोचा जो होगा देखा जायगा टी सी साहब आये और उनके पीछे पीछे वेटिंग में जिनका नाम था वो लोग थे उनलोगों को सीट नहीं मिल पा रही थी अब सोचा कि जब रेजर्वेसन वाले घूम रहे है तो टी सी साहब और ज्यादा नाराज रहेंगे फिर तो पक्का हो गया कि लगा आज हजार का चूना...............आखिर टी सी साहब से मुलाकात हो ही गई फिर बात आगे बड़ी......... टी सी साहब ने विल बुक निकालीoउर दो लोगो का चार्ज ५०० बताया मेने काफी भाव तावकिया क्यों कि उस समय तक में निश्चिंत हो गया था कि अब पेसो से काम चल जायेगाऔर हुआ भी यही ३०० रूपये में तोड़ हुआ २५० कि तो रसीद दी और ५० रुपयकि चोरी के तब जाके समझ आया कि वो रेजर्वेसन वाले भाई लोग क्यों परेसान है सीटे तो बहुत खली थी पर ......... सायद वो लोग पैसा नही देते पैसे से मतलब है उपरका चार्ज अब समझ में आया है कि कहींजाना है तो महीनो पहले रेजवेसन कि कोई जरूरत नहीं सामान्य का टिकट लो और ५० जयादा दोऔर बोगी में ही रेजर्वेसन लो ........वैसे रेल का यह नियम है बहुत अच्छा भाड़ में जाये वो लोग जो अपना समय निकालकर रेजर्वेसन करवाते है...........चलना तो उनकी ही है जो पैसा खर्च कर सकते है ..............वैसे लालू जी सही कहते थे कि रेल munapha कma रही है कमाएगी भी क्यों नहीं ...... वेटिंग वाले वेटिंग में है और भी रेजर्वेसन दो पैसा ही पैसा .........वहा री रेल तेरा नियम सबसे अच्छा ................

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